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Fatty Liver

 Fatty liver आज के दौर में अगर किसी बीमारी के नाम पे सबसे ज़्यादा लोगों को डराया जा रहा है तो वो है Fatty लिवर| आज हम सरल शब्दों में जानेंगे इस बीमारी की बारे में। लिवर आपके शरीर के दायें भाग में रहता है और इसका मुख्य काम पाचन कार्य में मदद और शरीर से toxins को हटाना है। अर्थात् Liver ही आपके शरीर को डीटॉक्स करता है। अगर आपके शरीर में fat की मात्रा बढ़ जाये तो वो आपके लिवर में जमा हो जाता और fatty liver में तब्दील हो जाता। अगर सही समय पर ये ठीक नहीं हुआ तो स्वस्थ्य लिवर के cells डैमेज हो कर कड़े हो जाते या यूँ कहें कि cirrhosis में तब्दील हो जाती इसके मुख्यतः दो प्रकार हैं १) Alcoholic Fatty Liver Disease जो की शराब की वजह से होता है। २) Non Alcoholic fatty liver Disease जो शराब छोड़ कर अन्य कारणों से होता है। इसमें मुख्य कारण हैं मोटापा, शुगर या बीपी की बीमारी, तेलीय चीज़ों का सेवन, अनिंद्रा, शरीर में अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल की मात्रा। कई दवाइयाँ भी आपके लिवर को damage कर सकती है। दवाइयों में modern medicine (जिसे आप एलोपैथी कहते हैं) की कई दवाइयाँ जैसे की steroid, aspirin, कई painkillers
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Chakra मानव शरीर में चक्रों का प्रभाव

  मानवशरीर में चक्रों का प्रभाव -: 1. मूलाधारचक्र : यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच 4 पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।  मंत्र : लं  चक्र जगाने की विधि : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है- यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना।  प्रभाव :  इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है। 2. स्वाधिष्ठानचक्र- ☀️ यह वह चक्र है, जो लिंग मूल से 4 अंगुल ऊपर स्थित है जिसकी 6 पंखुरियां हैं। अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है तो आपके जीवन में आमोद-प्रमोद, मनोरंजन, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करने की प्रधानत

पहले के फ्रिज

 बचपन मे हम लोगों के घर फ्रिज नहीं होता था, लेकिन घर के खाद्य पदार्थो को सुरक्षित रखने और भोजन दूध आदि ख़राब ना हो बिल्ली आदि से भी सुरक्षित रहे, हम जैसे जो बचपन मे दुदाहड़ी से चोरी से मलाई निकाल कर खा जाते थे, इन सभी से बचाने के लिए कच्चे घरों मे दीवाल के एक कोने मे 'पेटहरा', मिट्टी से बना पारंपरिक फ्रिज हम सभी की घरों मे होता था।

Uric Acid

  पहले  पतीला (खुला बर्तन) में दाल-भात बनता था,  अदहन जब अनाज के साथ उबलता था  तो बार-बार एक मोटे झाग की परत जमा हुआ करती थी,  जिसे अम्मा रह-रह के निकाल के फेक दिया करती थी।  पूछने पर कहती कि "इससे तबीयत ख़राब होती है. बाद में बड़े होने पर पता चला वो झाग  शरीर मे ये यूरिक_एसिड बढ़ाता है और अम्मा इसीलिए वो झाग फेंक दिया करती थी।   अम्मा ज्यादा पढ़ी लिखी तो नही थी पर ये चीज़े उन्होंने नानी से और नानी ने अपनी माँ से सीखा था।  अब कूकर में दाल-भात बनता है,  पता नही झाग कहा जाता होगा, ज्यादा दाल खाने से पेट भी खराब हो जाते हैं डॉक्टर कहते हैं एसिडिटी है यदि आप समझ गए हैं तो इसे शेयर करें क्योंकि दवा समाधान नहीं हो सकता इसीलिए योग आयुर्वेद आपको कई दिनो तक उपवास या शरीर का शुद्धीकरण रखने को कहता है जिससे यही जमा जहर बाहर निकाला जा सके, इसलिए आप खान पान का ध्यान रखें साथ ही साथ प्राकृतिक चिकित्सा को भी सीखें और समझे  पुराने ज्ञान को याद करिये विज्ञान छुपा है उसमे GyanviyogabySadhakVipin

Detoxification

 

Chakrasana